बिहार भारतीय राजनीति की एक अद्भुत प्रयोगशाला पार्ट-1
बिहार भारतीय राजनीति की एक अद्भुत प्रयोगशाला पार्ट-1( The Evolution of Bihar Politics A Brief History 1 )
बिहार। पटना। मोकामा। देश के उत्तरी भाग में स्थित बिहार को भारत की राजनितिक प्रयोगशाला कहा जाता है।यह राज्य हमेशा से भारत के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक राज्यों में से एक रहा है। आजादी से पूर्व भी बिहार देश की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, आज भी बिहार देश की राजनिति में अपनी धाक बनाये हुए है ।बिहार का सत्ता संग्राम ऐसा है की आज कई राजनीतिक दल और नेता सत्ता के लिए लगातार होड़ कर रहे हैं।महज 2-5 के जादुई आंकड़ों के दम पर कोई सत्ता में है तो कोई सत्ता से दूर। संभवतः यही कारण है की बिहार की वर्तमान राजनीति में सत्ता के लिए घमासान मचा हुआ है। (The Evolution of Bihar Politics A Brief History 1)
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बिहार की राजनीति हमेशा से जाति आधारित राजनीति, धार्मिक ध्रुवीकरण और उच्च गरीबी दर पर केन्द्रित रही है।(Mokama Online)
बिहार की राजनीति हमेशा से जाति आधारित राजनीति, धार्मिक ध्रुवीकरण और उच्च गरीबी दर पर केन्द्रित रही है।आजादी के बाद कई दशकों तक राष्टीय दल यँहा सरकार बनाते रहे । हालाँकि बाद के समय में यह ट्रेंड्स पूरी तरह बदल गया और धीरे धीरे कई क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ । बिहार की राजनीती में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर अपना योगदान दिया है और आज भी बिहार की राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है। (The Evolution of Bihar Politics A Brief History 1)
भारत के इस बिहार राज्य का एक लंबा और समृद्ध राजनीतिक इतिहास रहा है। (Mokama Online)
भारत के इस बिहार राज्य का एक लंबा और समृद्ध राजनीतिक इतिहास रहा है। भारत की स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश राज का हिस्सा बनने से लेकर एक अलग राज्य बनने तक, बिहार ने कई राजनीतिक घटनाक्रम देखे हैं।आजादी -पूर्व युग में भी बिहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। डॉ राजेंद्र प्रसाद,लोक नायक जयप्रकाश नारायण, अनुग्रह नारयण सिंह, बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह , राम मनोहर लोहिया ,रामकृष्ण सिन्हा और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं ने बिहार से देश की स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।(The Evolution of Bihar Politics A Brief History 1)
डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्टपति निर्वाचित हुए।(Mokama Online)
शायद यही कारण रहा होगा देश आजाद होने के बाद डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्टपति निर्वाचित हुए।वह देश के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक थे । स्वतंत्रता संगाम के काल में जब देश के स्वत्रंता सेनानी दो भागो में बंट गये थे ।एक ओर नरम दल था जिसका नेतृत्व पंडित जवाहर लाल नेहरु कर रहे थे जिसमें उनके सहयोगी के रूप में महात्मा गाँधी भी थे। वंही दूसरी ओर गरम दल का नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस कर रह थे।डॉ राजेन्द्र प्रसाद देश के उन गिने चुने स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिनकी सलाह नरम दल और गरम दल दोनों दलों के स्व्तान्त्र्ता सेनानी मानते थे।स्वतंत्रता के बाद, बिहार को गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे राज्य में कई राजनीतिक आंदोलनों का उदय हुआ। शेष अगली कड़ी में….(The Evolution of Bihar Politics A Brief History 1)

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