आज मौका है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तो हम शुभकामनाएं देते है उन बेटी ,बहु ,बहन का जिन्होंने अपने दम पर मोकामा को गौरवान्वित किया है .वैसे तो मोकामा की हर महिला ही अपने आप में शक्ति स्वरुप है ,पूजनीय है ,पर कुछ ने आगे बढ़कर मोकामा का नाम रौशन किया है .आइये जानते है उन महिलाओं को और मोकामा ऑनलाइन के साथ साथ आप भी सलाम कीजिये उनके जज्बे को.पिछले कुछ वर्षों से मोकामा की मिट्टी ने कुछ येसे हीरे उगले हैं जिसकी चमक से पूरा हिन्दुस्तान चमका है.स्मिता , नीतू , शमा ,आरती,निशा,अंजली,नूतन, रेशमी, वंदना , उजाला और हमारी सांसद महोदया श्रीमती वीणा देवी .
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित दंगल खेलने वाली बेटियां (औंटा गांव की रहने वाली दो सगी बहनें 17 वर्षीया निशा कुमारी व 14 वर्षीया अंजली कुमारी और मोरारपुर गांव की 19 वर्षीया नूतन कुमारी ,पंडारक से 3 बेटियां रेशमी, वंदना और उजाला) ये बेटियां कुश्ती खेल रही है जिसे लडको का खेल माना जाता है.पर अपने दम और हौसले से दुनिया जीतने निकली है.

राष्ट जब अपना 69 गणतंत्र दिवस मन रहा था. तो मोकामा की बेटी आरती अपने सपने को सच करने के लिए गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर उतरी थी.भाड़ी भरकम बुलेट पर जंहा अच्छे अच्छे लडखडा जाते है आरती ने पूरी कुशलता अपना परफोर्मेंस दिया.इस बार बी.एस.ऍफ़. के भवानी दस्ते को बहुत ही शोर्ट नोटिश पर परेड में शामिल होने का न्योता मिला था.गणतंत्र दिवस में इस बार पहली बार शामिल हुई थी बी.एस.ऍफ़. की महिला बटालियन मगर भारत की बेटियों ने इसे चुनोती के रूप में लिया और कर दिखाया.इन स्टंट्स में पिरामिड, फिश राइडिंग, शक्तिमान, विंड मिल और बुल फाइटिंग शामिल थे. उन्होंने फ्लोरल ट्रिब्यूट, साइड सैल्यूटिंग दी. मोर जैसी आकृति बनाई.भवानी दस्ते ने कुल 4 से 5 मिनट तक अपना प्रदर्शन किया.परेड में 51 महिलाओं ने बाइक राइडिंग की और उनके समेत कुल 113 महिलाओं की डेयरडेविल्स टीम ने 350 सीसी की 26 रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकल्स पर स्टंट और एक्रोबेटिक्स दिखाए. इन बाइकर्स रेजिमेंट में 20 महिलाएं पंजाब, 15 पश्चिम बंगाल, 10 मध्य प्रदेश, 9 महाराष्ट्र, 8 उत्तर प्रदेश, 7-7 असम और बिहार, 6 ओडिशा, 5-5 राजस्थान, मणिपुर और गुजरात, 3-3 जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़, 2-2 कर्नाटक, उत्तराखंड, दिल्ली और केरल और 1-1 मेघालय और हिमाचल प्रदेश से हैं आरती मोकामा के औंटा गांव की अलख निरंजन शर्मा जी की बेटी है .आरती ने २०१४ में बी एस ऍफ़ ज्वाइन किया था .और जब उसे राजपथ पर हुनर दिखने का मौका मिला तो उसने उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया.

शमा परवीन बिहार के मोकामा की बेटी है जिसने कब्बडी में अपना जूनून साबित किया. मोकामा के दरियापुर गांव की शमा परवीन अपनी टीम में कॉर्नर पोजिशन से खेलती हैं. अपनी टीम की वह चर्चित रेडर भी है. अल्पसंख्यक परिवार से आने वाली शमा के पिता इलियास जी ने ने ही उसे कबड्डी सिखाई थी. बेहद गरीब परिवार से आने वाली शमा परवीन बचपन से ही कबड्डी खेल रही हैं.बहुत विरोध के वावजूद अपने जूनून को जीत में बदला .एक इंटरव्यू के दौरान शमा ने कहा कि गांववालों को उनका कबड्डी खेलना मंजूर नहीं था, अक्सर लोग मैदान में शौच करके चले जाते थे, शीशा फेंक देते थे, कील तक फेंकते थे ताकि मैं उस मैदान में खेल ना पाऊं. शमा ने अपने पुराने दिनों को याद कर कहा कि वो उसके घरवालों और रिश्तेदारों पर दबाव बनाते थे, ताकि वो खेल न सके,दादी तक ने उसका विरोध किया था.मगर पिता इल्यास को पूरा भरोसा था .और शमा ने उस भरोसे को जीत में बदल दिया.साल 2007 में आरा में एक मैच में जीतने के बाद इनाम के तौर पर उसे 100 रुपए मिले थे। इसके बाद शमा ने पिछे मुड़कर नहीं देखा. जूनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप और फिर सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में शमा ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. इसके बाद शमा 2017 में एशियन महिला कबड्डी चैंपियनशिप के लिए ईरान पहुंची. यहां शमा ने गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शमा को बधाई दी.मोकामा की इस बेटी ने तमाम बाधाओं को पार करके अपनी राह बनाई.अपने छोटे बालों और कपडे पर हसने वालों को अपने जीत से चुप कराया.

स्मिता कुमारी :- आप का जन्म बिहार के पटना जिले के मोकामा में हुआ.बचपन से ही खेल के प्रति आपका रुझान ही आपको खेल के महा कुम्भ तक ले कर गया.आपने महिला कब्बडी को एक नया आयाम दिया है. आपके नेतृत्व में भारतीय महिला कब्बडी टीम ने १० दक्षिण एशियन गेम और १६ एशियन गेम में स्वर्ण पदक हासिल किया.आप के नेतृत्व में महिला कब्बडी टीम आसमान की उचाई तक गई. आपकी चुस्ती फुर्ती की कायल आपकी विपक्षी टीम की खिलाडी भी करती है .आपकी इसी हुनर पर आपको कई नमो से जाना जाने लगा तत्कालीन मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने आपको “कब्बडी गर्ल”, तो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आपको “गोल्डन गर्ल” कहा. आपने अपने लगन और मेहनत से मरांची जैसे छोटे गावं का नाम रौशन किया. हमें आप पर नाज़ है.

मोकामा की बेटी ,बहन केशव सिंह कीर्ति ने हिमालय की अन्नपूर्णा सृंखला पर 5416 मीः ऊँचे बर्फीली पहाड़ पर चढ़ कर बिहार की पहली महिला बनी.

श्रीमती वीणा देवी जो मोकामा की बहु है,वर्तमान में भारत गणराज्य के मुंगेर लोकसभा से लोक जन शक्ति पार्टी(लो.ज.पा.) के उम्मीदवार के रूप में सांसद चुनी गई हैं.ये एक गृहणी है साथ साथ अपने पति सूरजभान सिंह के साथ साथ सोशल कार्यकर्त्ता भी हैं.

इस महिला दिवस पर मोकामा की उन तमाम बेटिओं और बहनों को शुभकामना देता हूँ जो जीवन में कुछ नया गढना चाहती है,हौसला न छोड़े,अंतिम साँस तक पर्यास कीजिये ,सफलता अवश्य मिलेगी.मोकामा को गौवान्वित करने का आपको सौभाग्य जरुर मिलेगा.शुभकामना सहित मोकामा ऑनलाइन
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