नई दिल्ली।बिहार।पटना।बेगूसराय। राज्य सभा सांसद श्री राकेश सिन्हा ने मोकामा के राजेन्द्र सेतु रेल-सह-सड़क पुल के मरम्मत में हो रहे विलंब का मामला राज्यसभा में उठाया।राज्यसभा सदस्य श्री राकेश सिन्हा ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से यह मामला सदन में उठाया था। सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इस प्रश्न का जवाब दिया गया है।श्री राकेश सिन्हा ने बताया कि देश केे सबसे पुराने पुलों में शुमार राजेंद्र सेतु सिमरिया उत्तर और दक्षिण बिहार को ही नहीं, पूर्वोत्तर भारत को देश के अन्य राज्यों से जोड़ता है। परन्तु पुल का मरम्मत कार्य लगातार कई वर्षों से चल रहा है, जिसके कारण लोगों को आवागमन में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।जल्द से जल्द राजेन्द्र सेतु के मरम्मत का कार्य हो ताकि आम जन जीवन आसान हो।
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इस प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने सदन को बताया कि राजेन्द्र सेतु आजाद भारत में गंगा नदी पर बनने वाला पहला पुल है।इसका एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। मोकामा का यह राजेन्द्र सेतु काफी महत्वपूर्ण है तथा लंबे समय से इसपर मरम्मत का कार्य चल रहा है। इस राजेन्द्र सेतु रेल-सह-सड़क पुल का स्वामित्व रेल मंत्रालय के पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) जोन हाजीपुर के पास है। जिसके कारण निर्धारित समय सीमा के भीतर मरम्मत कराने की जिम्मेवारी रेलवे को सौंप दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुमान के मुताबिक राजेंद्र पुल की मरम्मत के लिए करीब 80.01 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। तत्काल लोगों को असुविधा नहीं हो, इसके लिए वैकल्पिक मार्ग चुनने की सूचना प्रकाशित करने के साथ नोटिस लगाए गए हैं।भारी वाहनों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित है।साल 2019 से ही यंहा बड़े और भारी वाहन के परिचालन पर रोक लगाने के लिए हाइट गेज लगा दिया गया है। 80.01 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं, इसके तहत राजेन्द्र सेतु के सड़क मार्ग का पूरा ढांचा बदला जाना है। पुल का ढांचा बदलने के लिए एजेंसी चयन के टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही रेलवे द्वारा इस सेतु को नया जीवन दिया जाना है।
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