मोकामा। गंगा के जलस्तर में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी ने इस बार 1976 और 2016 कि जल त्रासदी का भयावह मंजर दोहरा दिया है। स्थिति है कि गंगा किनारे जितने भी छोटे बड़े शहर गांव हैं सब जगह जल जनित समस्या है। और समस्या लोगों के भोजन भात से मवेशियों के चारे दाने का भी।
संकट के इस दौर में वैसे लोग ज्यादा परेशान हैं जो दियारा या गंगा के तटीय क्षेत्र में निवास कर रहे थे। मोकामा प्रखंड के कई गांवों के गंगा किनारे पर पिछले कुछ दशकों में कई ऐसे परिवार दियारा या अन्य जगहों से आ बसे हैं जो हर साल डूब जाते थे। मोकामा के बरहपुर, सुल्तानपुर, कन्हाईपुर, मेकरा आदि गांव में ऐसी बस्तियों की भरमार है। लेकिन गंगा ने इस बार सब कुछ डुबो दिया है। जो सुरक्षित स्थल कहा जाता था वही जलमग्न हो गया है।
इसके साथ ही प्रभावित लोगों के समक्ष खाने पीने और रोजी रोजगार का संकट गहराता जा रहा है। खासकर जो लोग खेती, कृषक मजदूर या पशुपालन पर आश्रित थे उनकी समस्या बढ़ गई है।
हालांकि बाढ़ की विभीषिका भले लोगों का जीना मुहाल किये हो लेकिन मानवीय संवेदनाओं को भी इस विपदा काल में देखा जा सकता है। प्रभावित गांवों में कई ऐसे लोग हैं जो बाढ़ पीड़ितों को अपने स्तर से खाने और राशन की व्यवस्था कर रहे हैं। कोई चूड़ा, गुड़ बांट रहा है तो कोई राशन का किट। कोई दवाई की व्यवस्था में लगा है तो कोई पशुओं के चारे की।
सामाजिक समरसता का अनोखा तालमेल इस बाढ़ की विभीषिका में देखने को मिला है। सुल्तानपुर में लोगों के बीच अपने स्तर से बाढ़ राहत बांट रहे मंटू ने कहा इस समय हम सिर्फ मानवता का धर्म निभा रहे हैं। अगर हम सक्षम हैं तो हमें जरूरतमंदों को जरूर जो बन पड़े सहयोग करना चाहिए।
छतरपुरा निवासी और भाजपा नेता डॉ रामसागर सिंह भी पिछले दस दिनों से लगातार बाढ़ प्रभावित लोगों को प्रशासनिक सहयोग दिलाने में जुटे हैं। चाहे पशुओं के चारे की व्यवस्था हो या लोगों के भोजन की वे विभागों और वरीय अधिकारियों से लगातार सहयोग दिला रहे हैं। इसी तरह मोकामा के कई युवाओं ने स्वतंत्रता दिवस पर मलिया घाट में शरण लिए दियारा वासियों के साथ आजादी का जश्न मनाया। रवीश, चंदन, भूषण, मिथिलेश, आदि ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मिठाई और झंडे की व्यवस्था की। वहीं नीलेश कुमार माधव ने अपने कुछ कमरे बाढ़ पीड़ितों के रहने के लिए मुहैया कराया है। मनीष कुमार शिक्षक भी इसी तरह अपना परिसर बाढ़ पीड़ितों के लिए खोले हुए हैं। शिवनार के अमित कुमार लगातार बाढ़ पीड़ितों के लिए काम कर रहे हैं। उनके भोजन से लेकर अन्य प्रकार की सुविधाएं और व्यवस्था दिलाने में लगे हैं।


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