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मोकामा की कोमल नेशनल कबड्डी कैंप के लिए चयनित!
मोकामा (एसएनबी)। राष्ट्रीय सब-जूनियर कबड्डी प्रशिक्षण शिविर में मोकामा की कोमल कुमारी का चयन किया गया है। अमेच्योर…
किस्मत वालों को मिलती है शहादत : वाइस एडमिरल!
मां ने कहा, बेटा देश के काम आया रणवीर की शहादत से प्रेरणा लें : नीरज प्रतिमा का अनवरण
मोकामा (एसएनएबी)। मातृभूमि…
मां के भावुक अल्फाज और छलक गये आंसू!
मोकामा (एसएनएबी)। शहीद रणवीर रंजन के प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करने आयीं रणवीर की मां के शब्दों से पूरा…
शहादत को मिला सम्मान, प्रतिमा का अनावरण आज!
भारतीय नौसेना के शहीद लेफ्टीनेंट कमांडर रणवीर रंजन की याद में शहीद द्वार का निर्माण
मोकामा (एसएनबी)। भारतीय नौसेना…
स्कूल बाबू राम लखन सिंह ‘क़ानूनी’!
न कभी कानून की पढाई की न ही कभी वकालत की और न ही कभी न्यायलय गए.मगर उस जमाने में जब जयादातर झगडे ,मामले पंचो के…
अमर शहीद प्रफुल्ल चंद चाकी !
२ मई १९०८ की सुबह रेलवे के उस पुलिया पर दोनों और से दना दन गोलियाँ चल रही थी.जो लोग उस समय वंहा रेलवे स्टेशन…
मगही कवि भाई बालेश्वर!
मगही कवि भाई बालेश्वर
सामंतवादी माहौल ने एक रिक्शा चालक को कवि बना दिया.जिला स्तर पर ही सही ,लेकिन उनकी एक पहचान है…
राम सागर सिंह!
राम सागर सिंह:-आपका जन्म बिहार की पावन धरती मोकामा सकरवार टोला में हुआ.आप बचपन से ही पढाई और खेल में…
लाल मोकामा के नाज़ है जिनपर !
मोकामा समूह के सभी सदस्यों को प्यार भरा नमस्कार .आज आप सब से एक सहयोग चाहता हूँ.जैसा की हम सब जानते है मोकामा…
स्मिता कुमारी !
स्मिता कुमारी :- आप का जन्म बिहार के पटना जिले के मोकामा में हुआ.बचपन से ही खेल के प्रति आपका रुझान ही आपको…
डॉ जनार्दन प्रसाद सिंह(जानो दा)!
20 अगस्त 1935 की रात बिहार के पटना जिले की मोकामा सकरवार टोला की पावन भूमि पर श्री महावीर सिंह के घर में इनका जन्म!-->…
डॉ बैद्यनाथ शर्मा (बच्चा बाबु)!
आइये आज जाने मोकामा के उस लाल को जिसने अपनी लेखनी के बल पर मोकामा का नाम रौशन किया.
डॉ बैद्यनाथ शर्मा का जन्म…
रमेश नीलकमल!
आइये आज जाने मोकामा के उस लाल को जिसने अपनी लेखनी के बल पर मोकामा का नाम रौशन किया.
21 नवम्बर, 1937 को जनमे,…
मालपुर ने भरी हुंकार, बनाई समानांतर सरकार!
मोकामा (एसएनबी)। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सशस्त्र संघर्ष से भी गुरेज नहीं करने वाले क्रांति केन्द्रों की सूची में…
मिट रही पहचान, नहीं मिलते कद्रदान!
भारतीय मूर्ति कला पूरे विश्व में अद्वितीय मानी जाती थी है, और रहेगी भी। आज भी इसकी उतनी ही मांग है जितनी पहले थी।…