बिहार।पटना।मोकामा। याद कीजिए सन 1990 और 2000 के शुरुआती दौर को जब स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर मोकामा की गलियों में होता था नुक्कड़ नाटक का मंचन। सामाजिक जागरूकता अभियान हो या भ्रष्टाचार का मुद्दा, शिक्षा-स्वास्थ्य की बदहाल व्यवस्था हो या देश राज्य की ज्वलंत समस्याएं— विविध किरदार को निभाते मोकामा के कलाकारों की टीम का नाटकीय मंचन कैसे समाज को बदलाव की दिशा देता था।
याद आया वह ‘चिनिया बादाम वाला’, भिखारी और भिक्षाटन करता साधु। पुलिस की वर्दी पहने वे बहुरूपिये। तपस्वी स्थान से ढोल नगाड़ों के साथ निकलने वाला जुलूस जो मोलदियार टोला, सकरवार टोला, धौरानी टोला, तेराहा, बाजार चौक होते हुए थाना चौक आता था। जब थाना चौक पर मोकामा के थाना प्रभारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी विविध रूपों में सजे किरदारों को पुरस्कृत कर जनजागरूकता की इस अनोखी पहल को सराहते थे।
-विज्ञापन-

विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 79821 24182
जी हाँ, एक बार फिर यह सब जीवंत होगा। इस बार के स्वतंत्रता दिवस पर फिर से होगा नुक्कड़ नाटक। फिर से समाजिक सन्देश का होगा प्रसार। फिर से मोकामा दोहराएगा इतिहास।
रविवार को मोकामा के विवेकानंद पुस्तकालय में नुक्कड़ नाटक के मंचन की तैयारी और व्यवस्था को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में आयोजन की रूपरेखा पर रविशंकर, रौशन भारद्वाज, अनंत कुमार, गोपाल जी, महेश कुमार, चन्दन कुमार, हरे कृष्ण, प्रणव शेखर शाही, रौशन कुमार, अभिमन्यु कुमार, राम लखन आदि ने अपने विचार/सुझाव व्यक्त किया। अगर आप भी मोकामा की इस ऐतिहासिक नाट्य परम्परा से जुड़ना चाहते हैं या वित्त सहयोग, रास्ते की सेवा जैसे पानी नाश्ता व्यवस्था आदि तो सोमवार से शाम 7 बजे से विवेकानंद पुस्तकालय में आकर सहभागिता सुनिश्चित करें।
-विज्ञापन-

विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 79821 24182
टिप्पणियाँ बंद हो जाती हैं, लेकिन Trackbacks और Pingbacks खुले हैं।