मोकामा टाल के किसान प्रकृति की मार से बेहाल हैं।पहले ही 2019 में बरसात ने आखिरी दिनों में इतना कहर बरपाया की टाल नवम्बर दिसम्बर तक डूबा रह गया। इस वजह से मोकामा टाल आधा से ज्यादा बिन बुआई के रह गया।जिस किसानों ने खेती की उनकी फसल बहुत कमजोर रही। जैसे जैसे समय बीतता गया फसलों पर लकवा और झुलसा जैसे रोगों ने धावा बोल दिया। किसान अपने फसलों को मरता कैसे देखता इधर उधर से कर्ज लेकर फसलों की दवा दारू की । किसानों की मेहनत रंग लाई फसल थोड़ी बेहतर हुई।
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किसानों ने उम्मीद लगाई की फसल के बीज के दाम तो निकल ही आएंगे। पर ईश्वर को तो न जाने क्या मंजूर था बिन मौसम फरवरी मार्च की बरसात ने अपने साथ पानी, ओले और तूफानी हवाओं से फसलों को तहस नहस कर दिया। किसानों ने सबकुछ ईश्वर के भरोसे ही छोड़ दिया। टाल के 70 प्रतिशत किसानों के फसल 100 फीसदी खराब हो गए। अभी 2 दिनों से मोहाना नदी का पानी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। 5से 7 फ़ीट पानी ऊपर आ गया है।झारखंड के डैम से पिछले कई दिनों से पानी छोड़ा जा रहा है जिस वजह से टाल की नदियों में भी बाढ़ जैसे हालात उतपन्न हो गई है।अगर आगे भी पानी छोड़ा जाएगा तो मोकामा टाल की फसल शत प्रतिशत खत्म हो जाएगी।
