मोकामा की मिट्टी से पोषित-पल्लवित हुए रामजी सिंह को पद्मश्री ने नवाजा गया

मोकामा की मिट्टी से पोषित-पल्लवित हुए रामजी सिंह को पद्मश्री ने नवाजा गया

मोकामा।(Mokama Online News 144) मोकामा की मिट्टी से पोषित-पल्लवित हुए रामजी सिंह को पद्मश्री ने नवाजा गया है। पूर्व संसद सदस्य और कुलपति डॉ रामजी सिंह को पद्म पुरस्कार मिलने पर उन्होंने मोकामा से अपने जुड़ाव का स्मरण किया है।

मोकामा ऑनलाइन की वाटस ऐप ग्रुप से जुड़िये और खबरें सीधे अपने मोबाइल फ़ोन में पढ़िए ।

रामजी सिंह के अनुसार उनका जन्म 1927 में मुंगेर जिले के जमालपुर में हुआ।

रामजी सिंह के अनुसार उनका जन्म 1927 में मुंगेर जिले के जमालपुर में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जमालपुर से शुरू की। लेकिन इसी दौरान उनका बाल मन स्वतंत्रता आंदोलन की ओर झुक गया। उनके विद्रोही तेवर का नतीजा रहा कि उन्हें जमालपुर के स्कूल में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। ऐसे ने एक ओर परिवार को उनकी पढ़ाई की चिंता सता रही थी तो दूसरी ओर उनके मन में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जल रही थी।(Mokama Online News 144)

-विज्ञापन-

Mokama Online News 144

विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 79821 24182

मोकामा ऑनलाइन के इन्स्टाग्राम पर हमसे जुड़िये ।

रामजी सिंह का बचपन का नाम रामचंद्र था।

यहां तक कि रामजी सिंह का बचपन का नाम रामचंद्र था। लेकिन जब वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे तो अंग्रेजी हुकूमत की नजर पर चढ़ गए। ऐसे में रामचंद्र ने एक अलग रास्ता निकाला। उन्होंने अपना नाम बदल कर रामजी सिंह कर लिया और मोकामा हाई स्कूल में दाखिला लिया।(Mokama Online News 144)

मोकामा हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने देशप्रेम, स्वतंत्रता संग्राम और वीरता के कई कारनामों में प्रत्यक्ष और परोक्ष भूमिका निभाई।

मोकामा हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने देशप्रेम, स्वतंत्रता संग्राम और वीरता के कई कारनामों में प्रत्यक्ष और परोक्ष भूमिका निभाई। रामजी सिंह मानते हैं कि मोकामा हाई स्कूल में हुई उनकी स्कूली शिक्षा ने उन्हें संघर्ष, नैतिक मूल्यों और जिम्मेदारी एवं जवाबदेही का ज्ञान कराया।

मोकामा में पढ़े लिखे इस लाल ने बाद के वर्षों में आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।

मोकामा में पढ़े लिखे इस लाल ने बाद के वर्षों में आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। पटना विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद वे करीब चार दशक तक प्रोफेसर के रूप में विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े रहे। साथ ही कुलपति भी रहे।

ये भी पढ़ें:-स्व.पं. साधू शरण शर्मा ,खूब लड़े अंग्रेजो से।

ये भी पढ़ें:-याद किये गये चाकी।

-विज्ञापन-

Mokama Online News 144

विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 79821 24182

टिप्पणियाँ बंद हो जाती हैं, लेकिन Trackbacks और Pingbacks खुले हैं।

error: Content is protected !!