उपचुनाव में जदयू की जीत और राजद का दमदार प्रदर्शन कैसे बिहार की राजनीति को करेगा प्रभावित

उपचुनाव में जदयू की जीत और राजद का दमदार प्रदर्शन कैसे बिहार की राजनीति को करेगा प्रभावित।

(Mokama Online News 116)तारापुर और कुशेश्वर स्थान विधानसभा उपचुनाव के नतीजे यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में जदयू और भाजपा गठबंधन ही सबसे मजबूत है। राजद ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया है लेकिन लालूराज का डर आमलोगों के जेहन से जा नहीं रहा है। नतीजा अकेले अपने दम पर शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी राजद को जीत न मिलना है।

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राजद का यह प्रदर्शन नीतीश कुमार के लिए खतरे की घँटी जरूर है।

वैसे राजद का यह प्रदर्शन नीतीश कुमार के लिए खतरे की घँटी जरूर है। अगर कल की तारीख में जदयू, भाजपा और राजद अलग अलग चुनाव लड़े तो मुकाबला भाजपा और राजद के बीच का रह जाएगा। इसलिए चुनाव परिणाम भले जदयू के पक्ष में गया हो पर राजद के प्रदर्शन से भाजपा भी ‘खुश’ होगी। जरूरत पड़ा तो जरूरत अनुसार फूल वाली पार्टी जदयू को fool बना सकती है।(Mokama Online News 116)

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कन्हैया जैसे नेताओं को जमीन तैयार करनी होगी।

राजद के बिना कांग्रेस की नैया पार नहीं लगेगी। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने दोनों सीटों पर वोटकटवा प्रदर्शन किया है उससे भविष्य के कुछ अच्छे संकेत हैं। कांग्रेस अगर स्टैंड क्लियर रखे कि उसे राजद और वामदल से गठबंधन नहीं करना है तो भविष्य में कांग्रेस का जनाधार बढ़ना तय है। कन्हैया जैसे नेताओं को जमीन तैयार करनी होगी।(Mokama Online News 116)

चिराग जितना आज जले हैं भविष्य में भी उतना ही जलेंगे।

चिराग जितना आज जले हैं भविष्य में भी उतना ही जलेंगे। जदयू से पासवान उम्मीदवार होने के कारण कुश्वेश्वरस्थान में पासवान भी चिराग से छिटका है तो यह उनके दल के लिए शुभ संकेत नहीं है। चिराग पासवान अगर अगर भविष्य के विकल्प बनना चाहते हैं तो उन्हें भाजपा के साथ जाना चाहिए। अगर वहां जगह नहीं हो तो कांग्रेस के साथ मिलकर प्रभावशाली प्रदर्शन कर सकते हैं। कुल मिलाकर उन्हें राजनीति करनी है और जीत हासिल करना है तो गठबंधन में जाना ही होगा फिर चाहे वह राजद के साथ ही क्यों न जाएं। नहीं गए तो चिराग तले अंधेरा ही रहेगा।

बंकिये पुष्पम प्रिया को सबसे पहले अपनी पार्टी का नाम बदलना चाहिए।

चिराग की भांति ही पप्पू यादव हैं। जनता की जितनी सेवा कर लें जनता उन्हें वोट देने से रही। कहीं गठबंधन करेंगे तभी उपाय है। बंकिये पुष्पम प्रिया को सबसे पहले अपनी पार्टी का नाम बदलना चाहिए। 90 फीसदी आदमी तो उनकी पार्टी का नाम ही नहीं ले सकता है। बाकी पिछले साल भी उनके दल से कई नमूनों को टिकट मिला था।

राजद ने जातीय समीकरण के हिसाब से कुश्वेश्वरस्थान में मुसहर तो तारापुर में वैश्य को टिकट दिया है।

उपचुनाव में एक बड़ा बदलाव भी दिखा है। राजद ने जातीय समीकरण के हिसाब से कुश्वेश्वरस्थान में मुसहर तो तारापुर में वैश्य को टिकट दिया है। बावजूद इसके दोनों जगह राजद को हार का सामना करना पड़ा है। यानी जिन जातियों के भरोसे राजद ने उम्मीद पाली थी उन्होंने राजद पर भरोसा नहीं जताया है। इसे जाति मुक्त राजनीति तो नहीं कहेंगे लेकिन जाति वाला जीत दिलाएगा और जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी का नारा लगाने वालों को झटका लगा है।

जो ‘नायक’ हैं वही घूम फिरकर फिर से आएंगे।

बंकिये अंतिम सत्य तो यही है कि बिहार की बदहाली के जो ‘नायक’ हैं वही घूम फिरकर फिर से आएंगे।

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