चारा उत्पादन में तकनीक हब बनने की दिशा में मोकामा अग्रसर।
चारा उत्पादन में तकनीक हब बनने की दिशा में मोकामा अग्रसर।(Mokama moving towards becoming a technology hub)
बिहार।पटना।मोकामा।मोकामा के युवा अब खेती को मुनाफे का सौदा बना रहे हैं।अपने मेहनत और सरकारी सहयोग से यँहा के किसान देश भर में अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा रहे हैं।मोकामा के माहेश्वरी एग्रीकल्चर फार्म में आज CO6 घास की खेती की जा रही है।पारम्परिक खेती से इतर आधुनिक तकनीक के साथ यँहा के किसान खेती कर रहे हैं।(Mokama moving towards becoming a technology hub)
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मोकामा वार्ड न.13 निवासी चंदन कुमार कई बीघा में CO6 घास की बुआई करवा रहे हैं।(Mokama Online)
मोकामा वार्ड न.13निवासी चंदन कुमार कई बीघा में CO6 घास की बुआई करवा रहे हैं।CO6 घास यह एक बहुवर्षीय चारा है । एक वार लगाने पर 6- 7 वर्षों तक लगातार बिना किसी खास मेहनत के उगते रहता है।किसानों को जुताई, बुआई, बीज का खर्च बच जाता है।एक बार इसकी बुआई कीजिये 7 साल तक इसकी फसल लीजिगे। इसके कल्ले या डंठल कि बुआई की जाती है।(Mokama moving towards becoming a technology hub)(Mokama Online)

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चन्दन जी के नेतृत्व में मोकामा और घोसवरी प्रखण्ड के सैकड़ो किसान इसकी खेती कर रहे हैं।(Mokama Online)
चन्दन जी के नेतृत्व में मोकामा और घोसवरी प्रखण्ड के सैकड़ो किसान इसकी खेती कर रहे हैं।पुरे बिहार मे पहली वार भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी से सीधे मोकामा में पहुँचा है CO6 घास ।इससे पहले यह पहले नेपियर के रूप में आता था जिसके जड़ लगाकर खेती की जाती थी। बाद में इसमें कई संसोधन किये गए और CO5 के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर से लाकर चन्दन जी इसकी खेती करते थे।अब इसकी सबसे उत्तम और आधुनिक वैरायटी CO6 खेती कर रहे हैं चंदन जी।उनका संकल्प है कि मोकामा देश का सबसे बड़ा और आधुनिक चारागाह बने। उनकी पहल पर आज मोकामा घोसवरी प्रखण्ड के सैकड़ों किसान CO6 की खेती कर रहे हैं।इनकी पहल पर सीआरपीएफ मोकामा घाट ग्रुप सेंटर, नाजरथ अस्पताल में भी बड़े पैमाने इसकी खेती की जा रही हैं।(Mokama moving towards becoming a technology hub)

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