परशुराम जयंती का भव्य और सुन्दर मेला बाबा परशुराम के प्राचीन मंदिर प्रांगन में लगा हुआ था. मई सन 1993 का महिना था, गर्मी का मौषम था. सूर्य अपने पुरे जोशो खरोश के साथ गर्मी वरसा रहा था. मगर शाम होते होते मौसम खुशनुमा हो गया था. आज परशुराम जयंती मेले का आखिरी दिन था इसलिए जैसे ही सूर्य की गर्मी कम होने लगी लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मोकामा के बाबा परशुराम के उस मंदिर में लगे मेले की और जाने लगे. शाम के 4 बजने के साथ ही मेला जवान होने लगा था. मेले का आखिरी दिन होने की वजह से बच्चों में ज्यादा ही उत्साह था. झुला, कठ्घोरा, कठपुतली,मौत का कुंवा, जादू वाला, मिठाई वाला सब कुछ सब की दूकान सज चुकी थी.
शाम के 5:30 बज चुके थे ,अब जो कर्मचारी और काम करने वाले लोग थे वो भी अपने घर आ गए थे और मेला जाने की तयारी में थे. औरते भी आज आखिरी बार बाबा परशुराम की चरण वंदना कर लेना चाहती थी.
येसे ही उत्साह से ओतप्रोत एक सजजन अपने आस पास के बच्चों-लोगों से मेले से कुछ न कुछ ला कर देने का वादा कर चुके थे सो वो भी अपने घर से मेले की और निकल चुके थे और सीधे मोकामा के जयप्रकाश चौक से होते हुए बाबा के मंदिर की और ज रहे थे ,अभी बमुश्किल संकटमोचन मंदिर (बैंक ऑफ़ बरोदा) के पास पहुचे ही थे की ठायं – ठायं- ठायं और धूम बूम की आवाज़ से मोकामा चौक दहल उठा. सारे निशाने एकदम सटीक और वो भलामानुष वही बैंक ऑफ़ बरोदा के सामने गिरा परा छटपटा रहा था . शाम का दुन्ध्लापन और गोलियों की आवाज़ से डरकर लोग इधर उधर भागने लगे और वो इंसान वही गिरा तड़प रहा था ,की अपराधियों ने एक बड़े बम का प्रहार कर उनकी जीवनलीला समाप्त कर दी , जब तक अस्पताल ले जाया गया उनकी मौत हो चुकी थी.
अपने मुंह पर हमेशा मीठी मुस्कान रखने वाले , पान की गुलाबी होठों से सबको लुभाने वाले, सदा अपने से बड़ों को सम्मान और छोटो को दिल में बसाने वाले ,सबके प्यारे सबके दुलारे, चहेते अब इस दुनिया से जा चुके थे.
हम बात कर रहे है स्व विपिन सिंह की जो समाज हित के लिए हमेशा रहे ,जितना सुन्दर उनका वक्तितव था उससे कंही ज्यादा सुन्दर उनका मन , तभी तो 5 साल के बच्चे से लेकर 95 साल के वुजुर्ग भी उनका सम्मान करते थे, आपने जब मोकामा के व्यवसायी पर अत्यचार हो रह था जमके उनकी आवाज उठाई थी , शायद वही आपकी मौत कारन बना. आप जब वार्ड कमिश्नार थे , आपका वार्ड मोकामा के सबसे अछे वार्ड मैं से एक था. गलियां सड़के सब सुन्दर ,बिजली पानी की जो व्यवस्था आपके सामने थी आज 25 साल बाद भी नसीब नहीं. कितने अजनबी लोगो की मदद की कभी जात पात नहीं देखा, आपके मदद किये कितने परिवार आज मोकामा मैं है और बहुत आपके मरने भर के बाद से मोकामा छोड़ दिए ये सोच कर की अब उनकी आवाज़ कोई नहीं सुनेगा. और उनकी भविष्यवाणी बिलकुल सच हुई आपकी मौत के बाद मोकामा मैं व्यवसायी वर्ग के साथ लूट और मौत का जो तांडव हुआ किसी से छुपा नहीं. .आपकी मौत पर वो कौन सी आँख थी जो रोई न थी शायद आपका वध करने वाले को भी इस बात का अंदाजा न होगा. आपकी मौत से सिर्फ आपके बच्चे अनाथ नहीं हुए. हम जैसे सैकरों बच्चों का अभिभावक छिन गया .कितने गुमराह हुए जिन्हें आपके मार्ग दर्शन की जरुरत थी. लगभग २२ साल गुजर गए. शायद मोकामा की नई पीढ़ी आपको जानती भी न हो. आपका सुबह सुबह हर मंदिर को धोना बुहारना,सड़कों की सफाई, नालिओ की सफाई अपने हाथों से करना .जब कार्तिक का महिना आता था. तो पुरे सड़क पर झाड़ू लगते थे, पानी छिरकते थे ताकि गनग स्नान को जाने वाले लोगो को थोरी सहूलियत हो.समाज के निचले पायदान पर के लोगो को आर्थिक मदद खुद से और सरकारी तरीकों से भी करवाना.
नाम :- विपिन सिंह.
जन्मस्थल ;- 8 घर ,सकरवार टोला मोकामा,
सामाजिक वक्तितव, वार्ड कमिश्नर ,बच्चे बूढ़े सबका चहेता.
उपलब्धि:-समाज के हर तबके मैं आपकी स्वीकृति ,आपका वार्ड मोकामा के सबसे सुन्दर और व्यवस्थित वार्ड मैं से एक था,गली सड़क,बिजली,पानी, स्कूल, मदिर सबकी वयवस्था उतम.मोकामा के नागरिक तो नागरिक भिखाड़ी तक को सम्मान दिलाने का जज्बा,
मोकामा ऑनलाइन आपको सादर नमन करता है .अगर किन्ही भाई बंधू के पास इनका कोई फोटो हो तो हमसे जरुर साझा करें…..