मोकामा सहित पूरे देश के युवाओं के प्रेरणास्रोत और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तथा सामाजिक कार्यकर्ता कुमार शानू को उनकी उपलब्धियों के लिए 8 जुलाई को नई दिल्ली में बिहार प्रतिभा सम्मान प्रदान किया गया।केंद्रीय मंत्री एस.एस. अहलुवालिया ने कुमार शानू को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया और अमेरिका में आगे की पढ़ाई करने जा रहे कुमार शानू को उज्ज्वल भविष्य की बधाई दी।समारोह के संयोजक ब्रजेश कुमार ने बताया की “बिहार के कोने कोने से प्रतिभा संपन्न युवको का चयन किया गया है.जिन्होंने समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया है.चाहे वो सिविल सर्विस में चयनित युवा हों,समाज को नयी दिशा देने वाले युवा हों,या वक्तिगत जीवन में बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले युवा.”मोकामा के कुमार शानू का चयन उसके समाज में किये जाने वाले बेहतरीन कार्यों के लिए किया गया है.सीबीएसई के खिलाफ साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में मिली जीत में शानू की अहम् भूमिका थी ,इस अधिकार से 50 लाख बच्चे ने फायदा लिया है. शानू ने अभी कुछ दिन पहले भी अपने पैतृक गावं मोकामा में 30 लोगो की टीम तैयार की है जो RTI के माध्यम से मोकामा के समाजिक व्यवस्था को मजबूत करेंगे . शानू के इन्ही सब सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें चुना गया है.फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में शानू का चयन हुआ है,इसके लिए बिहार प्रतिभा सम्मान टीम उन्हें बधाई देता है वो जीवन में

यूँ ही आगे बढ़ते रहे और समाज को बेहतर बनाने मैं अपना योगदान देते रहें”.
एक परिचय:-पटना सेंट पॉल के स्टूडेंट कुमार शानू ने बिहार का नाम पूरी दुनिया में रौशन कर दिया है। उनका सेलेक्शन अमेरिका के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई के लिए हुआ है। अपने बचपन को याद करते हुए वह कहते हैं 90 के दशक में जब मेरा जन्म मोकामा में हुआ था उस वक्त वहां क्राइम रेट बहुत ज्यादा था इसीलिए मेरी मम्मी हम तीनों भाई-बहनों को लेकर पटना आ गई। यहां हम किराए के घर में रहने लगे। मेरा एडमिशन सेंट पॉल स्कूल दीघा में कराया गया। दसवीं तक मैंने यहीं से पढ़ाई की। लोयला स्कूल से मैंने बारहवीं तक की पढ़ाई की। यह कहते-कहते कुमार शानू थोड़े गंभीर हो जाते हैं। वह आगे कहते हैं मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन मैंं अमेरिका के इतने प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करूंगा। वह कहते हैं यह एक ऐसा ख्वाब था जिसे साकार करने में शरद सागर के डेक्स स्कूल ने मेरी मदद की। फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में शानू का हुआ सेलेक्शन.अमेरिका के इस कॉलेज में एलएलएम प्रोग्राम की पढ़ाई के लिए दुनियाभर से सिर्फ पंद्रह स्टूडेंट को चुना जाता है। 25 साल के कुमार शानू इन्हीं कुछ खुशनसीब स्टूडेंट में से एक हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी की ओर से 20 हजार डॉलर स्कॉलरशिप भी दी गई है। 90 के दशक में मोकामा में जन्मे पर क्राइम रेट ऐसा था कि परिवार पटना आ गया, लोएला स्कूल से 12 वीं तक पढ़ाई की .दादाजी से मिली दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा .कुमार शानू अपने दादाजी से बेहद प्रभावित हैं। उनकी जिंदगी पर दादाजी का बहुत गहरा असर रहा है। अपने दादाजी के बारे में बातें करते हुए शानू गर्व से भर उठते हैं। वह कहते हैं मेरे दादाजी सरकारी शिक्षक थे लेकिन वह सैलरी नहीं लेते थे। हम संपन्न किसान परिवार से आते थे इसीलिए किसी तरह की आर्थिक परेशानी नहीं थी। दादाजी का मानना था कि सक्षम लोगों को बढ़-चढ़ कर समाज की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने हमें जो जीवन मूूल्य दिए वो जीवन के अबतक के हर पड़ाव पर मेरे काम आया। मुझे मेरे पिताजी से भी सीखने को काफी कुछ मिला। मां ने अपराध के कारण समाज के युवाओं का पतन होते देखा था। वो बताते हैं कि मां दूरदर्शी थी वो जानती थी कि यह माहौल हमारे मन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इसलिए वो हमें लेकर पटना आ गईं। उनकी सोच का आज सकारात्मक परिणाम निकला है। मां भी मेरी सफलता से काफी खुश हैं और पिताजी भी।?
सीबीएसई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मिली जीत बड़ी सफलता .सीबीएसई के खिलाफ साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में मिली जीत ने कुमार शानू का हौसला बढ़ाया। वह कहते हैं पहली बार सूचना के अधिकार के तहत 50 लाख स्टूडेंट को जांची हुई उत्तरपुस्तिका देखने को मिली। इस जीत ने मुझे लोगों के लिए काम करने का हौसला दिया। पढ़ाई पूरी कर लौटूंगा तो बिहार की हर संभव मदद करूंगा .कुमार शानू कहते हैं कि मैं बिहार में ज्यूडिशियल सिस्टम को स्ट्रांग करना चाहता हूं। जब तक यह नहीं होगा बाहर से इन्वेस्टर यहां नहीं आएंगे और राज्य का विकास नहीं होगा। वह कहते हैं पढ़ाई पूरी करके वापस आने के बाद मैं वहां के अनुभवों से राज्य की पूरी मदद करने की कोशिश करूंगा। पढ़ाई के लिए किया था दिल्ली का रुख.कुमार शानू कहते हैं मैं ऐसा करना चाहता था जिससे दूसरों की मदद कर सकूं । इसलिए लॉ करने की ठानी। नोएडा के एमिटी लॉ स्कूल से डिग्री लेने के दौरान पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया अल्तमस कबीर से मिला। उनसे मिलने के बाद मैंने लोगों को सोशल इश्यू पर अवेयर करने की ठानी। दोस्तों के साथ मिलकर मैंने राइट टू एजुकेशन एक्ट से कई बच्चों का एडमिशन बड़े स्कूलों में करवाया।
टिप्पणियाँ बंद हैं।