करोना से बचाव के जो तरीका WHO ने बतायी हे । उसे पालन करना हम पूरे देशवासी का कर्त्तव्य ही नही जरूरत भी हे । इसके लिए हमारी सरकार तत्पर भी है , देश के लगभग सभी राज्य मे लॉक डाऊन कर लिया हे । ये भी कहा हे जरूरत के सभी की दुकान जैसे मेडिकल, ATM,डेयरी आदि खुले रहेंगे । कल शाम कुछ जरूरी चीजो के लिए मुझे मोकामा बाजार ना चाहते हुए भी जाना पड़ा । समय लगभग शाम साढ़े चार बजे होंगे अमूमन इस समय हर साधारण दिन यंहा काफी हलचल रहता हे । 20-22 किलोमीटर के रेडियस में मोकामा बाज़ार बहुत महत्वपूर्ण बाज़ार है । पर कल यंहा बंदी का असर देखने को मिला बाजार मे इक्के दुक्के दुकान खुले थे औऱ लोग भी लोग भी ज्यादा नही थे ।
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शहर एकदम से थम गया था । इस खामोशी को देखते -देखते एक बंद दुकान के चबूतरे पर एक बुजुर्ग दम्पति बैठे थे । मालूम पड़ता था कोई बड़ी परेशानी में है । बाजार पूरा खुला नही था इसलिए लोग बस आ जा रहे थे । दुर्भाग्य से लोगो की नजर अभीतक उन दम्पति पर नही पड़ी थी । जब उनसे बात करने की कोशिश की तो बुजुर्ग महिला ने रोते हुए बताया कि उनका घऱ भागलपुर है । वो यंहा टाल में फसल कटाई के काम के लिए आए थे पर घऱ से खबर आया है उनके बच्चे वंहा बीमार है । रेल और सडक मार्ग सेवा पूरी तरह बंद होने के कारन वो घर नहीं जा सकते ,बच्चे की तबियत के बारे में जानकर मन बैठा जा रहा है,उनके पास पैसे भी नहीं हैं । उनसे पूछने वाले व्यक्ति सज्जन थे । आजकल की तरह झोला छाप फेसबुकिया नेता की तरह लोकप्रियता के लिए सो कोल्ड सोशल वर्क की आदत नहीं लगी उनकी । उन्होंने अपने मोबाइल से किसी सवारी गाड़ी वाले से भागलपुर की जाने के लिए औऱ किराया की बात करने लगे पर शायद गाड़ी वाला इस लोक डाउन में जाने को तैयार नहीं हुआ । बात करने के दौरान उनके चेहरे पर आ रही भाव -भंगिमाएं साफ बता रही थी की बात नहीं बन रहा है । इतने देर मे एक नौजवान युवक ने उनसे कहा इन्हे थाना पहुचा दिया जाए,शायद पुलिस कुछ इंतजाम कर सके । ये सुनते उन्होंने जेब से 100का दो नोट बुजुर्ग माताजी को देते हुए थाने जाने को कहा । देखते ही देखते 100-100 की मदद दो और लोगो नेकर दी ,उस नौजवान ने अपने औऱ दोस्त की बाईक से दोनो को थाना पंहुचा दिया ।
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परिस्तिथि कैसी भी हो जरूरत किसी को भी हो सकता है। संकट की घड़ी मे अगर हमने जरूरत मंद की मदद नहीं की तो हम इंसान कहलाने के लायक नहीं है ।संदीप मंडल.
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