सरकार खाद की कालाबाज़ारी को लेकर सख्त हो रही है।खाद की तय कीमत से अधिक पैसा लेने पर सभी पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। सभी जिला कृषि पदाधिकारी को टीम बनाकर खाद की कालाबाजारी की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है। सभी अपने अपने क्षेत्रों में खाद की कालाबाज़ारी की जांच करने पहुँचने लगे हैं।चूंकि बिहार में खाद की कालाबाजारी जांचने वाले इंस्पेक्टर के हजारों पद खाली हैं। ऐसे में यह असम्भव ही प्रतीत हो रहा है।
नियमतह खाद की जांच कृषि स्नातक अधिकारी द्वारा ही होता हैं। अभी खाद की जांच करना प्रखंड कृषि पदाधिकारी के जिम्मे है। बिहार के अधिकतर प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृषि स्नातक नहीं हैं। ऐसे में खाद की जांच भगवान भरोसे है।राज्य में पैक्सों के माध्यम से किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाने का प्रावधान है। लेकिन जिले में पैक्सों को खाद का लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है। अब तक मात्र 26 पैक्स को ही लाइसेंस मिला है। वहीं जिले में 304 पैक्स कार्यरत हैं। पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि आसानी से खाद का लाइसेंस मिल जाता तो किसानों को सरकारी दर पर खाद उपलब्ध कराना आसान होता।
जिला समीक्षा बैठक में तीन कृषि समन्वयकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।जिला कृषि पदाधिकारी ने उर्वरक से संबंधित समीक्षा बैठक में सही जवाब नहीं दे पाने और बैठक में अनुपस्तिथ रहने वाले कृषि समन्वयकों से स्पष्टीकरण मांगा है। संपतचक की कृषि समन्वयक नेहा कुमारी को उर्वरक के जीरो टॉलरेंस नीति पर सही जानकारी नहीं देने, मोकामा की कृषि समन्वयक ममता कुमारी को अनुपस्थित रहने और अथमलगोला के कृषि समन्वयक फेकन रजक को जैविक कॉरिडोर योजना की बैठक में संतोषजनक जवाब नहीं देने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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