चलिए आज आपको एक सच्ची घटना सुनाता हूँ जिसमे एक आदमी ने इनकम टेक्स के अधिकारीयों द्वारा उसके घर पर छापे से चिढने पर इनकम टैक्स अधिकारीयों से ही टैक्स लिया था और ये घटना भारत के सभी नामी गिरामी अखबारों में बड़े चुटीले अंदाज में छापा गया था. 70 के दशक की एक घटना है एक फिल्मस्टार के बनाये फिल्म भारतीय सिनेमा को दिन व् दिन सुनहरा बना रहे थे .उनके घर कुछ इनकम टैक्स के अधिकारीयों ने छापा मार दिया ,उस समय वो फिल्मस्टारअपने घर में थे ,अधिकारीयों ने उनके घर में रखे एक आलमीरा की और इशारा करते हुए कहा की ये खोलकर दिखाएँ इसमें बहुत सारे अघोसित सम्पति होने की सुचना है हमें. फिल्मस्टार महोदय ने उनसे आग्रह किया की उनके यंहा येसा कुछ भी नहीं है कृपया यंहा से चले जाएँ .पर अधिकारी कंहा मानने वाले थे वो अपनी जिद पर अड़े रहे .फिल्मकार महोदय ने उन्हें पास के ही एक होटल से खाना मंगा कर खिलवाया ,उनकी सेवा स्वागत भी की पर अधिकारी आलमीरा खोलने की जिद पर अड़े रहे ,इतने में मोह्हले के लोगों को भी पता चल गया की अमुक फिल्मस्टार के घर इनकम टैक्स का रेड हुआ है.लोग उनके बंगले के आगे जमा होने लगे .
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अधिकारीयों ने वो आलमीरा खोला तो उसमे कुछ फिल्मो के स्क्रिप्ट के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला .अधिकारीयों ने पुरे घर को छान मारा पर वैसा कुछ भी नहीं मिला जिससे वो साबित कर सकते की यह अघोसित सम्पति का हिस्सा है.अधिकारी गण वापस चले गए पर फिल्मस्टार महोदय ने उन सभी अधिकारीयों की शिकायत बड़े अधकारियों से कर दी और मिडिया में व्यान जारी कर दिया की उनके घर से लाखों रूपये इनकम टैक्स के अधिकारी ले गये हैं .उन्होंने वकायदा कोर्ट में केस भी कर दिया की उनके रूपये जायज तरीके से कमाए गये हैं और इसके लिए उन्होंने अपना इनकम टैक्स रिटर्न भी कोर्ट में जमा करवा दिया .मिडिया और कोर्ट के ट्रायल से वो सभी अधिकारी घबरा कर उनसे माफ़ी मांगने लगे पर फिल्मस्टार महोदय टस से मस नहीं हुए .जिस होटल से खाना मंगवाया था उसके कर्मचारियों ने भी फिल्मस्टार महोदय के पक्ष में गवाही दी,स्थानीय लोगों ने भी गवाही दी की उनके घर से अधिकारीयों ने रूपये जब्त किये थे ,अख़बारों में छपा की फिल्मस्टार महोदय को उन अधिकारीयों ने रिश्वत देकर अपना पिंड छुड़ाया था.
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ये फिल्मस्टार और कोई नहीं इंदरजीत सिंह जौहर उर्फ़ आईएस जौहर थे जिन्होंने 60 और 70 के दशक में भारतीय सिनेमा को एक नयी उचाई दी. सन 1971 में उन्हें ‘जॉनी मेरा नाम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया. 1951 में आई ‘अफसाना’ फिल्म से आईएस जौहर ने बतौर लेखक फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत की थी . 1954 में आई फिल्म ‘नास्तिक’ में आईएस जौहर बतौर एक्टर देखे गए और बॉलीवुड में एक बड़े नायक के रूप में उनको पहचान मिली . 1970 में रिलीज हुई विजय आनंद की फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ में इनकी अदाकरी का लोहा देवानंद भी मानने लग गये थे.(यह कहानी अन्नू कपूर के साक्षत्कार पर आधारित हैं)
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