शहीद प्रफुल्ल चन्द्र चाकी के शहादत दिवस पर मोकामा पहुँची कृतज्ञ इंकलाब यात्रा।( Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
बिहार।पटना।मोकामा।कल दिनांक 01/05/23 को शहीद स्थल, टेढ़ी नाथ, बेगुसराय से कृतज्ञ इंकलाब तीर्थ यात्रा अपराह्न 4 बजे निकली और देर शाम मोकामा पहुँची। संतोष कुमार ईश्वर, शिक्षा व समाजसेवी, बिहार अभिभावक-शिक्षक संध बेगुसराय के जिज्ञासा से व्यवस्थित होकर एक जत्था, स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी योद्धा शहीद प्रफुल्ल चंद्र चाकी, के शहीद स्थल, मोकामा, पटना, बिहार के लिए प्रस्थान किया।(Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
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बेगुसराय से कृतज्ञ इंकलाब तीर्थ यात्रा अपराह्न 4 बजे निकली और देर शाम मोकामा पहुँची।(Mokama Online)
इस जत्थे में सम्मानित प्रोफेसर कैलाश प्रसाद सिंह, भूतपूर्व बिभागाध्यक्ष इतिहास, कापरेटिव काॅलेज, बेगुसराय, श्री चन्द्रदेव वर्मा, मजदूर नेता,माले, श्री राजीव कुमार, अधिवक्ता, वकील संघ, बेगुसराय, अंचल मंत्री , भाकपा, मोकामा,श्री कन्हैया जी, बांटा यूनियन नेता,मंराची, पटना मो गुलफाम,मो मोक्रीर,अवनीश कुमार, श्रद्धा उपासना, यशदीप, किर्ति इत्यादि हाथ में तिरंगा झंडा, पुष्प माला, मोमबत्ती लेकर देश के लिए अनाथ जांबाज अपने सपने को मात्र 19 की उम्र में मोकामा की धरती पर आहूति दे दिया था।(Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
जांबाज अपने सपने को मात्र 19 की उम्र में मोकामा की धरती पर आहूति दे दिया था।(Mokama Online)
प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसम्बर 1988 , बोगरा जिला, बिहारी गांव,जो अब बंगलादेश में है ,हुआ था।मात्र दो साल के जब वीर बालक थे तो इनके पिता चल बसे थे। 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल बिभाजन किया था उससे जबरदस्त आक्रोश भरक उठा था,उसको कुचलने के लिए कलकत्ता के मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड ने निर्दयीता पूर्वक क्रूर यातना बिरोध करने वाले नौजवानों को दिया था।जब आंदोलन काफी उग्र हो गया था तब किंग्सफोर्ड का स्थानांतरण सेशन जज के पद पर मुजफ्फरपुर किया गया था।(Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसम्बर 1988 , बोगरा जिला, बिहारी गांव,जो अब बंगलादेश में है ,हुआ था।(Mokama Online)
युगांतर पार्टी के क्रांतिकारी नेतृत्व ने किंग्सफोर्ड से बदला लेने का जबाबदेही प्रफुल्ल चंद्र चाकी और खुद्दी राम बोस को दिया था।प्रो कैलाश प्रसाद सिंह, श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत ही चिंता की बात है कि इतने बड़े वलिदान को हम आज अमृत महोत्सव के दौड़ में मिटाने का षड्यंत्र में लगे हैं। प्रफुल्ल चंद्र चाकी के धमाके से मोकामा की धरती भी जगी थी जिसके प्रेरणास्रोत से मोकामा के शहीद का स्मारक पटना में सम्मान के साथ मोकामा के धरती को गौरवान्वित करता है। कुर्बानियों के इतिहास को बदलने और धार्मिक व जातीय उन्माद से राजनीति के गंदगी से राष्ट कभी समृद्ध नहीं हो सकता। इन्होंने उनके चित्र पर पुष्प माला चढा कर एवं मोमबत्ती जलाकर महान कुर्बानी को सलाम किया। (Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
मोकामा के शहीद का स्मारक पटना में सम्मान के साथ मोकामा के धरती को गौरवान्वित करता है। (Mokama Online)
श्री चन्ददेब वर्मा जी ने भी शहीद प्रफूल्ल चंद्र चाकी के मात्र जीर्ण शीर्ण व्दार को देखकर चिंता व्यक्त किया कि महान वलिदानी देने वाले शहीद आज भी सम्मान के लिए तरह रहें हैं ये हमारे लिए शर्म की बात है। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को मिटाने का षड्यंत्र चल रहा है। (Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को मिटाने का षड्यंत्र चल रहा है।(Mokama Online)
संतोष जी ने बच्चों से कहा सोचो तुम्हारी मां अपने वेटे के लिए क्या क्या सपने देखते हैं डाक्टर, इंजीनियर,आइएस, शिक्षक, बैज्ञानिक, खूब पैसा कमायेगा, तिलक लेंगे,सजायेगे दूल्हा को। लेकिन तुम्हारी मां का सपना को सजाने के लिए प्रफुल्ल चंद्र चाकी और खुद्दी राम बोस के मां की सपना देश को आजाद करने के लिए कुर्बान कर दी। आज भ्रष्टाचारियों, अपराधियों, तस्करों और दलालों के घर रोशन है उनका कोई जात और धर्म की पहचान होता तो एक स्मारक बना दिया अवश्य जाता।आप उनके परिजनों उनके मां का नाम भी इतिहास के पन्नो पर नहीं है इसलिए मैं दो फूल, मोमबत्ती और तिरंगा लेकर बिहार की जनता को कहने व जगाने आया हूं कि इन महापुरुषों के स्मारक पर जिस दिन कुम्भ मेला लगेगा उस दिन भारत की धरती समृद्ध और से जायगी जो सपने शहीदों ने देखा था। क्या मेरा फ़र्ज़ नहीं बनता कि रम्मो गम और खुशियों के दिशाहीन व पाखंडवादी मेला को त्याग प्रफुल्ल चंद्र चाकी को याद करते हुए दो फूल चढावे। मखदुम की पंक्तियां हैं रात भर झिलमिलाती रही ,चाॅद- सितारों का वन। मोम की तरह पिधलता रहा, शहीदों का तन। आज हम आजाद भारत में अपने नैतिक और अनैतिक सपने पूरे कर रहे हैं याद रखना कि किसी ने अपने सपनों को तुम्हारे लिए कुर्बान किया है। श्री योगेन्द्र प्रसाद सिंह, भूतपूर्व कर्मचारी संघ के नेता, मोकामा वासी व अन्य गणमान्यो ने भी सम्बोधित कर मोमबत्ती जलाकर श्रध्दांजलि अर्पित किया। बांटा यूनियन नेता श्री कन्हैया जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया एवं श्रध्दांजलि सभा की समाप्ति की घोषणा किया गया। शहीद प्रफूल्ल चंद्र चाकी अमर रहेंगे के नारों के बीच समाप्ति के बाद जत्था रात के नौ बजे बेगुसराय के लिए प्रस्थान किया। (Grateful Inquilab Yatra reaches Mokama on Martyrdom Day of Shaheed Prafulla Chandra Chaki)

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