एक युवक जिसने अपने प्राणदीप भारत माता के चरणों को अर्पित कर दिया ।
एक युवक जिसने अपने लहू से मोकामा की पावन धरती पर क्रांति लिख गया ।
एक युवक जिसकी शहादत ने मोकामा की राजनीतिक इतिहास को गरिमा प्रदान कर गया ।
एक युवक जिसके आत्मोत्सर्ग के पश्चात भारतवर्ष में क्रांतिवाद का जन्म होता है ।
एक युवक जिसके बलिदान से मोकामा का नाम संपूर्ण भारतवर्ष में चर्चित हो गया ।
द्वितीय स्वतंत्रता -संग्राम के प्रथम शहीद होने का गौरव प्राप्त वह युवक था -“अमर शहीद प्रफुल्लचंद्र चाकी |” 2 मई, 1908 ई० को उनके बलिदान से मोकामा में स्वतंत्रता की रणभेरी बज उठती है । इस रणभेरी की अनुगुंज ने समस्त भारतवर्ष को आंदोलित कर दिया था।हमारे पूर्वजों के द्वारा इस अमर शहीद के स्मार्तस्वरूप एक शहीद द्वार का निर्माण कराया गया था ।
आज चाकी का जन्म दिवस है । ( जन्म -11दिसम्बर,1888 शहादत -2मई ,1908 ) पिछले अठाईस ( 28 ) साल से उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए मैं शहीद द्वार के पास मोमबत्ती जलाकर उनके प्रति श्रद्धा निवेदित करता आ रहा हूँ । आज भी मैं वहाँ जाऊँगा । आप तमाम देशप्रेमियों से अनुरोध है कि आज संध्या साढ़े सात ( 7 . 3० ) बजे शहीद द्वार के पास पधारकर उस हुतात्मा को स्मरण कर कृतार्थ हों ।
भारत माँ का नहीं रहा कोई कर्ज बाकी ।
देखो शहीद हो गया प्रफुल्लचंद्र चाकी ॥
अपने लहू से उसने क्रांति मशाल को जलाया था ,
हम भी दिल में उनकी स्मृति-ज्वाला को जलाए हुए हैं ।
एक कर्ज दे गया है वह , शीश अपना देकर ।
ऋणमुक्त होंगे हम उनकी मूर्ति स्थापित कर ॥

