अश्विन नवरात्रों में पंडालों में भी प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है।
बिहार। पटना। मोकामा। साल 2020 कोरोना महामारी अपने चरम पर था इसलिए सभी तरह के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगी हुई। बिहार में पंडालों में दुर्गा मां(Durga Puja) की प्रतिमा की स्थापना पर रोक लग गई थी। मंदिरों में भी सिर्फ गिने-चुने श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति थी। वर्ष 2021 में इस बार पिछले कई सप्ताह से कोरोना के केस बहुत कम हुए हैं। बिहार के कई जिले ऐसे हैं जहां पिछले कई हफ्ते से कोरोना का एक भी केस नहीं मिला है। इसलिए बिहार सरकार में यह निर्णय लिया है इस बार अश्विन नवरात्रों में पंडालों में भी प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है। हालांकि सभी आयोजन समितियों को प्रशासन से आयोजन की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रशासन की अनुमति के बिना कहीं पर भी अगर प्रतिमा की स्थापना की जाती है तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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मोकामा में दुर्गा पूजा का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा रही है।
मोकामा में दुर्गा पूजा का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा रही है। 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में पूरा मोकामा दुर्गा पूजा के रंग में रंग जाता है। लगभग दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर मां दुर्गा (Durga Puja)की प्रतिमा स्थापित की जाती है। मोकामा के सभी घरों में मां दुर्गा की पूजा में कलश स्थापना की जाती है। लोग 10 दिनों तक उपवास पर रहते हैं।पिछले साल मोकामा में दुर्गा पूजा नहीं के बराबर मनाई गई थी क्योंकि पंडाल लगाना पूर्णतः गैर कानूनी था। केवल मंदिर के गर्भ गृह में मां दुर्गा की कलश स्थापना की गई थी और वहां श्रद्धालु की सीमित संख्या रखी गई थी।
पूजा समितियों ने दुर्गा पूजा की भव्य तैयारी शुरू कर दी है।
बिहार सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए लॉक डॉन लगाया था उसे अब लगभग हटा दिया गया है। बिहार सरकार ने अनलॉक 6 में धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ की अनुमति दी है और इसे देखते हुए बिहार के सभी पूजा समितियों ने दुर्गा पूजा की भव्य तैयारी शुरू कर दी है।
मोकामा के भी सभी दुर्गा पूजा (Durga Puja) समिति,गणेश पूजा समिति और छठ पूजा समिति में धार्मिक आयोजनों को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है। पटना जिले के डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि इस बार आयोजन पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। धार्मिक स्थलों मंदिर परिसरों और पंडालों में प्रतिमा की स्थापना करने पर किसी भी तरह की मनाही नहीं है। लेकिन सभी पूजा समितियों को इसके लिए प्रशासन से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है। किसी पूजा समिति के पास अगर लिखित अनुमति नहीं होगा तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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