धर्म की ध्वजा उठाएगा कौन, Durga Puja Mokama दुर्गा पूजा समिति भंग।
Durga Puja Mokama दुर्गा पूजा समिति भंग।
बिहार ।पटना ।मोकामा। मोकामा के ऐतिहासिक बड़ी दुर्गा स्थान की पूजा समिति (Durga Puja Mokama) के वर्तमान अध्यक्ष श्री इंद्रदेव साव इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद वर्तमान पूजा समिति भंग हो गई है। जब तक नई पूजा समिति का गठन नहीं हो जाता तब तक यही पूजा समिति कार्यभार संभालेगी।
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गणेश पूजा और दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर भव्य आयोजन किया जाएगा।
ज्ञात हो कि आज गणेश पूजा और दुर्गा पूजा को लेकर मोकामा के बड़ी दुर्गा स्थान में पूजा समिति (Durga Puja Mokama) की और से एक मीटिंग आयोजित की गई थी। इस मीटिंग का मुख्य लक्ष्य था कि इस बार गणेश पूजा और दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर भव्य आयोजन किया जाए। लगभग 3 घंटे चली इस बैठक में मोकामा के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता श्री छतिंद्र सिंह ने की जबकि मंच संचालन आनंद शंकर जी ने किया।
गणेश पूजा और दुर्गा पूजा की तैयारी में जुटे कार्यकर्ता।
वर्ष 2020 में दुर्गा पूजा की तैयारी में जुटे कार्यकर्ताओं को मोकामा बाजार से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब वह पूजा समिति (Durga Puja Mokama) के लिए धर्मादा (चंदा) लेने गए हुए थे।इसलिए इसलिए इस वर्ष समिति के लोग चाहते हैं कि नए लोग यह जिम्मेदारी उठाएं और पूजा समिति गणेश पूजा और दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन करता रहे।
ऐतिहासिक बड़ी दुर्गा स्थान की बड़ी मान्यता है।
ज्ञात हो कि मोकामा के इस ऐतिहासिक बड़ी दुर्गा स्थान की बड़ी मान्यता है। घर घर से चलकर मां बहनें मां दुर्गा की आराधना करने इस बड़ी दुर्गा स्थान (Durga Puja Mokama) में आती हैं। देश की आजादी के पूर्व भी बड़ी दुर्गा स्थान न केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र रहा बल्कि यह देश भक्तों के लिए शक्ति और समर्पण का भी केंद्र रहा। श्री कृष्ण मारवाड़ी उच्च विद्यालय के शिक्षक रहे बड़हिया निवासी स्वर्गीय मंगेशकर बाबू बताते थे कि मोकामा के बड़ी दुर्गा स्थान में दूर-दूर से क्रांतिकारी आते थे। क्रांतिकारी यहां व्यापारियों के घरों में रुकते थे और दुर्गा स्थान में आकर अपनी सभा आयोजित करते थे जिसमें अंग्रेजों से कैसे लोहा लेना है उसके बारे में चर्चा होती थी। स्थानीय श्री केशव बाबू सहित कई देशभक्त थे जिन्होंने यहां पर कई सभाएं की जब तक कि देश आजाद नहीं हो गया।
आजादी के जंग में भी बड़ी दुर्गा स्थान केंद्र स्थल रहा था ।
1942 में जब गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया था उस समय गांधीजी सहित कई देश के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद पूरा मोकामा आक्रोश से भर उठा था। मोकामा के इस बड़ी दुर्गा स्थान(Durga Puja Mokama) में 10 अगस्त 1942 को ,शाम 4 बजे एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में मोकामा और आसपास के सभी कांग्रेसी और गैर कांग्रेसी नेता शामिल हुए। शुक्रवार टोला निवासी पंडित केशव प्रसाद शर्मा, सिंघेश्वर प्रसाद सिंह, श्री रामकृष्ण शर्मा ,चंद्रशेखर सिंह ,बिंदेश्वर प्रसाद सिंह ,अर्जुन सिंह, राम शंकर सिंह ,दशरथ सिंह सहित सहित कई नेता शामिल हुए थे। सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि मोकामा रेलवे स्टेशन, मोकामा पुलिस थाना पर तिरंगा झंडा लहरा दिया जाए। सभी सभी देशभक्तों ने बड़ी आसानी से मोकामा थाने को अपने कब्जे में ले लिया। मोकामा रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों और देशभक्तों के बीच कई दिनों तक लुकाछिपी होती रही थी। इनमें से कई नेता गिरफ्तार भी कर लिए गए थे।

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