डॉ कल्याणी कबीर को साहित्य सम्मान से नवाजा गया।
बिहार ।पटना ।मोकामा। (Dr Kalyani Kabir)साहित्य की दुनिया में डॉक्टर कल्याणी कबीर को जगन्नाथ राय पुरस्कार ,दिनकर सम्मान ,नर्मदा सम्मान(मध्य प्रदेश), सुरभि सम्मान ,कृष्ण कला केंद्र फॉर एजुकेशन सोसायटी , लोक समर्पण सम्मान, राष्ट्र संवाद सम्मान, गुरु शिष्य सम्मान, सशक्त नारी सम्मान, रिषिका सम्मान जैसे कई सम्मानों से नवाजा गया है।
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मोकामा में जन्मी पली-बढ़ी डॉक्टर कल्याणी कबीर कि कर्म भूमि जमशेदपुर झारखंड है।
मोकामा में जन्मी पली-बढ़ी डॉक्टर कल्याणी कबीर कि कर्म भूमि जमशेदपुर झारखंड है। अध्यापन के क्षेत्र में जुड़ी डॉक्टर कल्याणी कबीर का नाम साहित्य के क्षेत्र में बड़े ही अदब के साथ ही लिया जाता है। वर्तमान में डॉक्टर कल्याणी कबीर जेकेएम डिग्री एवं बीएड कॉलेज की प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।(Dr Kalyani Kabir)
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इनकी द्वारा लिखे आलेख और कवितायेँ नामी-गिरामी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है ।
डॉ कल्याणी कबीर द्वारा लिखे आलेख और उनकी कविताएं राष्ट्रसंवाद, झारखंड प्रदीप, गृहस्वामिनी, साहित्यनामा ,साहित्यवसुधा ,झारखंड जनसंचार जैसे कई नामी-गिरामी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है।

डॉ कल्याणी कबीर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की सचिव हैं ।
डॉ कल्याणी कबीर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की सचिव पद की जिम्मेदारी के साथ साथ बहुभाषी साहित्यिक संस्था ,सहयोग साहित्य उदय जमशेदपुर से भी जुड़ी हुई हैं।उन्होंने बताया की ऐसे सम्मानों से समकालीन पीढ़ी को बेहतर साहित्य रचने की प्रेरणा मिलती है।
इनके द्वारा लिखी कई पुस्तकें भी प्रकाशित की जा चुकी है।
इनके द्वारा लिखी कई पुस्तकें भी प्रकाशित की जा चुकी है। 2013 में इनकी पहली काव्य संग्रह ‘गीली धूप’ बहुत चर्चा में आई थी साहित्य प्रेमियों ने इसे बहुत सराहा था। दूसरी काव्य संग्रह ‘मन की पगडंडी’ जो वर्ष 2020 में प्रकाशित हुई लोगों के बीच बहुत पसंद की गई।
छोटी सी उम्र में ही साहित्य से गहरा लगाव हो गया था डॉ कल्याणी कबीर को ।
ज्ञात हो डॉक्टर कल्याणी कबीर का जन्म मोकामा में हुआ था, पिता किशोर कुमार, माता मीरा राय एक साधारण परिवार से थे।डॉक्टर कल्याणी कबीर को छोटी सी उम्र में ही साहित्य से गहरा लगाव हो गया था ।आज डॉ कल्याणी कबीर साहित्य की दुनिया का एक जाना पहचाना नाम बन चुकी हैं। 1997 से अभी तक हुआ अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत हैं डॉ कल्याणी कबीर।(Dr Kalyani Kabir)
सात साथियों के शहादत के बाद भी रामकृष्ण सिंह ने सचिवालय पर झंडा फहराया था।
स्व.पं. साधू शरण शर्मा ,खूब लड़े अंग्रेजो से।
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