कुर्सी मिली नहीं कि थानेदार साहब का 12 घँटे में दो बार हो गया तबादला और थाना नहीं जिला बदल गया Dhirendra Panday
थानेदार साहब का 12 घँटे में दो बार तबादला।
लखीसराय/मुंगेर। (Dhirendra Panday) पुलिस विभाग में इन दिनों एक थानेदार का तबादला सुर्खियां बटोर रहा है। स्वाभाविक है मीडिया से सोशल मीडिया तक उनके तबादले की चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों नहीं, थानेदार साहब ने महज 12 घँटों में दो बार तबादला जो झेला है।
कुर्सी मिली नहीं कि थानेदार साहब हुआ तबादला।
लखीसराय जिले के बड़हिया थाने में पदस्थापित थानेदार धीरेंद्र कुमार पांडे उर्फ डीके पांडे का स्थानांतरण आदेश 30 अगस्त 2021 को आता है। उन्हें बड़हिया से स्थानांतरित कर लखीसराय टाउन थाने का थानाध्यक्ष बना दिया जाता है। स्वाभाविक है जिले के सबसे प्रमुख थाने की कमान मिलना उनके लिए बेहद खास था। इसलिए टाउन थाने का पदभार संभालने के लिए शुभ मुहूर्त निकाला गया। लेकिन, यहां तो कुछ और खेल हो गया।

थाना के साथियों से घुले मिले भी नहीं हुआ तबादला।
जी हाँ, पांडे जी ने लखीसराय टाउन थाने की कमान संभाली। अभी ठीक से थाना के साथियों से घुले मिले भी नहीं थे। अभी तो कोई अनुसंधान या एफआईआर भी उनके कलम से सत्यापित नहीं हुआ था। अभी तो थानेदार साहब को ठीक से लखीसराय वासियों ने बधाई भी नहीं दी थी कि हो गया खेला।
मामला शासन प्रशासन से आम जनता तक सुर्खियां बना हुआ है।
पांडे जी के नाम से एक चिट्ठी आ गई, जो फिर से तबादले की थी। चिट्ठी भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि सीधे डीआईजी साहब ने जारी की थी 1 सितंबर को। मुंगेर के डीआईजी की ओर से जारी तबादला आदेश सिर्फ डीके पांडे के लिए था। आदेश था कि आप अब लखीसराय जिले से मुंगेर आ जाइये। यहीं अपने सेवा अनुभव, कौशल और अनुसंधानिक दूरदर्शिता का लोहा मनवाएँ। जरूरत पड़ी तो यहीं के नक्सलियों से लोहा भी ले सकते हैं। और 12 घँटे भी नहीं हुए कि थानेदार पांडे साहब लखीसराय से मुंगेर कूच कर गए। और अब यह मामला शासन प्रशासन से आम जनता तक सुर्खियां बना हुआ है। हर कोई अपने स्तर पर इसकी टांग खिंचाई कर रहा है।Dhirendra Panday
थानेदार साहब का आदर्श तबादला तो नहीं है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि बड़हिया थाना क्षेत्र में इस वर्ष एक के बाद एक दर्जनों चोरी की वारदात हुई। इसमें मार्च महीने में दिल्ली में कार्यरत एक वरीय पत्रकार के बड़हिया स्थित आवासीय परिसर से हुई लाखों रुपये की चोरी का मामला भी जुड़ा है। कहा जाता है कि पत्रकार साहब पांडे जी के अनुसंधान से संतुष्ट नहीं थे। अब एक के बाद एक 12 घँटे में हुए दो तबादले के इस प्रकार के कई एंगलों को जोड़ा जा रहा है। खैर कारण जो भी हो थानेदार साहब का आदर्श तबादला तो नहीं ही कहा जाएगा।
डीके पांडे को बड़हिया से मुंगेर स्थानांतरित करने का आदेश है
दिलचस्प यह भी है कि मुंगेर डीआईजी के आदेश में डीके पांडे को बड़हिया से मुंगेर स्थानांतरित करने का आदेश है। यानी उनके लखीसराय स्थानांतरण से डीआईजी कार्यालय भी अनभिज्ञ था।
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