दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनम् पाप नाशनम्

सावन और फिर भगवान शिव के पूजन की बात आए और बेल पत्र की चर्चा नहीं हो, यह नामुमकिन है। महीना सावन का ही है और जगह-जगह शिवजी के अभिषेक और वंदन की धूम है। पूजन में उन्हें बेल पत्र अर्पित करके प्रसन्न किया जा रहा है। माना जाता है कि बेल पत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है। कहा भी गया है ‘दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनम् पाप नाशनम्…’ बेल पत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है। बेल पत्र अगर दुर्लभ या विशेष प्रकार हो तो फिर इसके क्या कहने…।
#मोकामा लखचन्द में ऐसा ही एक दुर्लभ पेड़ है जिसमें बेलपत्र में 3 से 7 तक पत्ते होते हैं।जानकार बताते हैं कि इस तरह के बेल पत्र का मिलना और दर्शन बेहद शुभ होता है। इसको शिवजी अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
स्थानीय निवासी गौतम शंकर शाही बताते हैं कि पहले यह पेड़ एकदम साधारण था। इस पेड़ में भी आम बेलपत्र की तरह 3 पत्ते ही होते थे। 21 मई 2010 में शंकराचार्य जी का आगमन इस गाँव में हुआ था।3 दिन तक वो इस गावँ में रुके थे।उनके स्पर्श मात्र से ही यह पेड़ अदभुत हो गया । अब सावन के महीने में इस पेड़ का महत्व बहुत ही बढ़ गया है।ग्रामीण इसे शंकराचार्य जी का और बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद मानते हैं।
हर हर महादेव।

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