Census चुनाव में जमात जमात करने वाले अब जाति-जाति क्यों ।

Census बिहार। पटना ।नई दिल्ली। जब चुनाव आता है तो सभी राजनेता जाति नहीं जमात की राजनीति करने वाले बन जाते हैं। लोगों को विकास ,रोजगार, खुशहाली ,भाईचारा, सुशासन जैसे ख्वाब दिखाकर वोटों की राजनीति करते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होता है यह वही नेता जाति जाति चिल्लाने लगते हैं।
जमात छोड़ जाति की बात करने वाले नेताओं में क्या पक्ष क्या विपक्ष सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे नजर आते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री माननीय नीतीश कुमार और बिहार के नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव दोनों ही दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी को जाकर  जाति आधारित जनगणना करवाने की बात कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव सहित 11 नेताओं का प्रतिनिधिमंडल दिल्‍ली में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से मिलने पहुंचा था। अलग-अलग दलों के ये नेता, प्रधानमंत्री से मिलकर उनके सामने जाति आधारित जनगणना को लेकर अपना पक्ष रखा है। इस प्रतिनिधिमंडल दल में मुख्यमंत्री नीतीश के अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव, जेडीयू के विजय कुमार चौधरी, भाजपा के जनक राम, कांग्रेस के अजीत शर्मा, भाकपा माले के महबूब आलम, एआईएमआईएम अख्‍तरुल ईमान, हम के जीतन राम मांझी, वीआईपी के मुकेश सहनी, भाकपा के सूर्यकांत पासवान और माकपा के अजय कुमार शामिल हैं। Census

देश में 2021 की जनगणना में जातियों को मुख्य आधार बनाकर गिनती करवाने को लेकर अलग अलग राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक के लालच में गोलबंद हो रही हैं। आगामी चुनावों में इसके बड़ा मुद्दा बनने की उम्मीद है। जाति आधारित वोट बैंक को लुभाने की लालच में शायद ही कोई राजनीतिक दल इसका विरोध करेगा।जाति आधारित जनगणना की मांग के पीछे का मूल कारण देश में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था ही है। जाति आधारित जनगणना नहीं होने की वजह से इस समय जातियों की संख्या का कोई भी प्रामाणिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।पिछले सभी जनगणना में सिर्फ दलितों और आदिवासियों की ही गिनती की जाती है, बाकी किसी जाति का अलग से रिकॉर्ड नहीं तैयार किया जाता है।

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Census जब चुनाव आता है तो सभी राजनेता जाति नहीं जमात की राजनीति करने वाले बन जाते हैं। लोगों को विकास ,रोजगार, खुशहाली ,भाईचारा, सुशासन जैसे ख्वाब दिखाकर वोटों की राजनीति करते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होता है यह वही नेता जाति जाति चिल्लाने लगते हैं।
Census जब चुनाव आता है तो सभी राजनेता जाति नहीं जमात की राजनीति करने वाले बन जाते हैं। लोगों को विकास ,रोजगार, खुशहाली ,भाईचारा, सुशासन जैसे ख्वाब दिखाकर वोटों की राजनीति करते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होता है यह वही नेता जाति जाति चिल्लाने लगते हैं।

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