
बाबू युगल किशोर सिंह उपनाम (डायरेक्टर साहब)
जन्म- १९०० — निधन – १९६७
कर्मक्षेत्र-एवं-जन्मस्थली – मोकामा (पटना)
बीसवीं सदी के पूर्वार्ध से सन् 60 के दशक तक संपूर्ण मोकामा क्षेत्र के साहित्यिक सांस्कृतिक जागरण के ध्वजवाहक, बहुविध कलाओं यथा चित्रकला, संगीतकला, वास्तुकला, नाट्यकला के प्रणेता एवं निष्काम समाजसेवी बाबू किशोर सिंह कभी पेशेवर नहीं रहे। अपना धन खर्च कर कला और संस्कृति की जड़ों को सींचने के लिए अंतिम दम तक प्रयत्नशील रहे। इनके निर्देशन में खेले गए नाटक “सिकंदर-पोरस”, “राणा-प्रताप”, “हिन्दू की गाय”, “अमर सिंह”, “कफ़न” इत्यादि ने राष्ट्रीय-सामाजिक भाव का उदय कर लोगों में नवपरिवर्तन का सन्देश दिया और पुरानी पीढ़ी के जान आज भी इसे याद करते हैं।
इनके मार्गदर्शन में उस काल के महिला समाज में पेंटिंग के क्षेत्र में क्रांति आ गयी थी। संगीत के क्षेत्र में उस काल के युवा हारमोनियम एवं तबलवादन का प्रशिक्षण लेकर आगे बढ़ रहे थे।
आज का चर्चित “विद्यार्थी हिंदी पुस्तकालय” मोकामा १९५०-६० के दशक में इनके निवास-परिषर में संचालित होता रहा और सुविख्यात गुरु बाबू विश्वेश्वर प्रसाद सिंह (श्री मान जी) इनके दालान पर ही विद्यार्थियों को पढ़ाते थे।
इन्होने प्रख्यात फिल्म निर्देशक स्वर्गीय विमय राय के फिल्मों में आने का प्रस्ताव विनम्रता पूर्वक ठुकरा दिया था।
Source:-Abhishek Kumar
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