आनंद शंकर!

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आनंद शंकर
आनंद शंकर
१ मार्च १९५० का दिन  मोकामा के मोलदियार टोला के  एक मध्यमवर्गीय परिवार मैं किलकारियां गूंजी एक बालक का जन्म हुआ.माता पिता सहित पुरे मोहेल्ले ने पुत्र  होने की ख़ुशी मैं मंगल गीत गाये.लड़के को देखने भर से दिल मैं खुशी और आनंद का आभास होता था.पंडित और बुजुर्गों ने इस बालक का नाम रखा आनंद शंकर .जैसे जैसे आनंद बड़ा होता गया ईश्वर मैं इनका विस्वास बढ़ता चला गया . कुशाग्र बुद्धि आनंद शुरू से ही पढाई  मैं बहुत तेज रहे . आपकी प्रारंभिक शिक्षा मोकामा से हुई . आपकी उच्च शिक्षा गया ,पटना और मुजफ्फरपुर से हुई .आपने रसायन विज्ञान में एमएससी और कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की.आप पढाई के साथ साथ खेल मैं भी अव्वल थे. बचपन से ही देश और गरीबों के लिए कुछ करने की तम्मना के कारन आपने  प्रशासनिक क्षेत्र मैं जाने सोची .आपकी कड़ी मेहनत और ईश्वर मैं अगाध आस्था  ने आपके इस सपने को साकार किया और आप आप बिहार कैडर मैं १९७३ मैं आइपीएस अधिकारी बने . ईमानदार,निर्भीक, मगर कड़े फैसले लेने के कारन आप निरंतर आगे बढ़ते गए, आप  बिहार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं.1980 में आप रांची के सिटी एसपी थे, जबकि इसके बाद एक साल तक आप गिरिडीह के एसपी रहे थे. २८ जुलाई २००९ को आप बिहार के सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी डीजीपी बने. मुश्किल से सात महीने के कार्यकाल मैं आपने पुलिस को वो पाठ पढे जो इनके आचरण के लिए बेहद जरुरी था,पुलिस से आम आदमी का मिलना सुलभ करवाया , पुलिस की जो नकारात्मक छवि थी वो कुछ हदतक दूर हुई,   आपका ये कथन की “अपनी तनख्वाह में रहने की आदत डालें ,हरेक व्यक्ति को अपनी तनख्वाह में रहने की आदत डालनी चाहिए. वेतनभोगी कर्मचारी या अधिकारी अपनी शक्ति से ज्यादा शानो-शौकत पालने की कोशिश करेंगे, तो उनके कदम भ्रष्टाचार की ओर बढ़ेंगे. इसका अंत काफी बुरा होता है. ईमानदारी से काम करने में अलग तरह का सुकून मिलता है “. पुलिस और आम वेतन भोगी दोनों के लिए प्रेरणा बना .आप 31 अगस्त 2009 से 28 फरवरी 2010 तक बिहार के डीजीपी रहे. इसी पद से आप रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद  आप  अपने गांव मोकामा  में खेती भी करते हैं. बिहार में आपको को एक ईमानदार  और निर्भीक आईपीएस अधिकारी के रूप में पहचान जाता था.आप जब बिहार के डीजीपी थे तो आपने कमजोर और गरीब वर्ग के लिए एक विशेष अभियान चला रखा था.जिसमे गरीबों की शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार आदि विषयों पर काम करते थे.

आपकी भगवान में गहरी आस्था है आप हमेसा तुलसीदास का दोहा ‘सुर नर मुनि सब के यह रीति, स्वार्थ लागि करहि सब प्रीति’ सुनते रहते है . आप कहते है  कि इसमें भगवान नहीं हैं। भगवान बिना स्वार्थ के सबका कल्याण करते हैं। धरती पर मां भगवान का रूप है.

सभी धर्म मानवतावादी:-आप कहते है की  कि इस्लाम में पांच मूल तत्व हैं। रोजा, नमाज, जकात, खैरात और हज। जकात और खैरात का मतलब होता है, अपनी संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा गरीब, लाचार और बेसहारा लोगों के बीच खर्च करना। हिन्दू धर्म में भी इसी प्रकार न्यायोपार्जित आमदनी का दस फीसदी गरीब और लाचार पर खर्च करने की आज्ञा है। सिख और इसाई धर्म में भी ऐसी ही आज्ञा दी गई है। “यदि हम भगवान, अल्लाह, वाहे गुरू, क्राइस्ट की इस आज्ञा को मानें तो नक्सलवाद की जड़ें यू ही समाप्त हो सकती हैं.”

आपके इन्ही सभी गुणों के कारन आपको फिर एक बार एक नई चुनौती मिली है ,आपको झारखण्ड के राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद का सलाहकार नियुक्त किया गया है . आज आपके कारन बौद्धिक चेतना और समरसता की जननी रह चुकी मोकामा की धरती को एक और गौरव हासिल हुआ है. राज्यपाल के सलाहकार के रूप में रहकर आप विषमताओं से भरे झारखंड के विकास में अपना योगदान करेंगें. डीजीपी के पद पर रहते हुए भी आपने मोकामा को गौरव दिलवया. वहीं अब राज्यपाल के सलाकार जैसे महत्वपूर्ण पद पाने के लिए मोकामावासी इस गौरव से खासे आह्लादित हैं.

हमें आप पर  नाज है .आपने मोकामा का गौरव बढाया है .

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